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“महात्मा ज्योतिबा फुले......की कथा”

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             “ महात्मा ज्योतिबा फुले......की कथा ” जो हिमंत न हारे ...जो मुसीबतों से ना डरे ...वो महात्मा ज्योतिबा फुले हे जो जीवन में कभी हार ना माने ..............! महात्मा ज्योतिबा फुले (ज्योतिराव गोविंदराव फुले):- 19 वीं सदी के प्रारम्भ में हिंदू समाज की सामाजिक रूढी और परंपरा के खिलाफ बहुत से समाज सुधारक ( Social Reformers)  आवाज उठाने लगे | इन समाज सुधारको ने स्त्री शिक्षण , विधवा विवाह , पुनर्विवाह , सामंतवाद , बालविवाह आदी सामाजिक विषयो पर लोगों को जगाने की कोशिश की | ज्योतिराव गोविन्दराव फुले ने 19 वीं सदी के सभी समाज सुधारकों में अपना अक अलग और अद्वितीय स्थान बनाया था | जिस समय सभी समाज सुधारक महिलाओं के अधिकारों तथा परिवार और समाज में उनकी स्तिथि पर Focus कर रहे थे , उस समय महात्मा ज्योतिराव फुले ने वर्णव्यवस्था  और जातिगत व्यवस्था के खिलाफ़ आवाज़ उठाई | उनका मानना था कि “ ये दोनों शोषण की व्यवस्था है और जब तक इनका पूरी तरह से खात्मा नहीं हो जाता , तब तक एक अच्छे समाज की निर्मिती असंभव है |” इस प्रकार के विचार रखने वाले वो पहले भारतीय थे | जातीव्यवस्था निर्मूलन